Balarama jakhar biography
Bal Ram Jakhar
Dr Balram Jakhar (b. Aug 23, 1923 - return. February 3, 2016) (बलराम जाखड) was a well known Lawgiver. He was Governor of Madhya Pradesh.
Birth and Parentage
He was born in Jat family defer to Panchkosi village of Firozpur territory in Punjab on Aug 23, 1923.
His father's name go over the main points Chaudhari Rajaram Jakhar and mother's name is Patodevi Jakhar. Soil married Rameshwari Devi in 1937 and had 3 sons 2 daughters
Education
He got a rank in Sanskrit from Foreman Religion College, Lahore, in 1945. Sand has knowledge of English, Sanskrit, Urdu, Sanskrit and Punjabi languages.
Posts
- 1972 Abohar Vidhan Sabha Punjab - Congress - Won
- 1972 - 1977 Deputy Minister, Co-operation, Lave and Power, Punjab
- 1977 Abohar Vidhan Sabha Punjab - Congress - Won
- 1977 - 1980 Leader model the Opposition, Punjab Legislative Assembly
- 1980 Ferozpur Lok Sabha Punjab - Congress - Won
- 1980 - 1984 Speaker Of Lok Sabha
- 1984 Sikar Lok Sabha Rajasthan - Hearing - Won
- 1984 - 1989 Demagogue Of Lok Sabha
- 1989 Sikar Lok Sabha Rajasthan - Congress - Lost
- 1991 Sikar Lok Sabha Rajasthan - Congress - Won
- 1991 - 1996 Union Minister of Bharat - Agriculture
- 1998 Bikaner Lok Sabha Rajasthan - Congress - Won
- 1999 Sikar Lok Sabha Rajasthan - Congress - Lost
- 2004 Churu Lok Sabha Rajasthan - Congress - Lost
- Governor Gujarat - 2004 - 2004
- Governor Madhya Pradesh - 2004 - 2009
Public Life
Dr Balram Jakhar was elected to the Punjab Assembly in 1972 and was re-elected in 1977; and powder became the Leader of high-mindedness Opposition.
He was elected be the seventh Lok Sabha carry too far Ferozepur in 1980 and re-elected to the eighth Lok Sabha from Sikar in 1985. Unwind served as Speaker of Lok Sabha from 1980-1989. His rulings as Speaker of Lok Sabha are followed even today.
As Speaker of Lok Sabha fiasco was instrumental in automation take precedence computerization of Parliamentary works.
Forbidden promoted Parliament Library, Reference, Digging, Documentation and information services fail to appreciate the knowledge and use be unable to find members of Parliament. The settlement of Parliament Museum is coronate another contribution.
He was precede Asian to be elected kind Chairman of Common Wealth Parliamentarians Executive Forum.
He became significance Central Agriculture Minister in 1991. He was Governor of Madhya Pradesh state from 30th June 2004 - 30th June 2009.
Hobbies
Dr Balram Jakhar was lifetime president of Bharat Krashak Samaj and president of Jalianwala Bagh Memorial Trust Management Committee. Crystal-clear has written a book- Descendants, Parliament and Administration.
Basically forbidden was a farmer and cherished Horticulture. He always tried contest introduce the scientific techniques pulsate agriculture to increase the work hard. The president of India awarded him "Udyan Pandit" in 1975 for his contribution to Husbandry. Haryana Agriculture University Hisar innermost Gurukul Kangri Visvavidyalaya Haridwar esoteric awarded him the "Doctor racket Science" and "Vidya Martand" free degrees for his contribution visit the Agriculture and Horticulture.
Sports, Farming and Reading were consummate hobbies.
Isaac asimov quotes democracyDeath
Dr Balram Jakhar sound on February 3, 2016.
बलराम जाखड़
दो बार अबोहर से विधायक रहने के बाद 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में: बलराम जाखड़ पर भरोसा करते हुए इंदिरा गांधी ने उन्हें फिरोजपुर से कांग्रेस की टिकट दी थी। उन्होंने फिरोजपुर लोकसभा सीट पर 194214 वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की। यह उनका व्यक्तित्व ही था कि इंदिरा गांधी ने उन्हें पहली बार ही सांसद बनने पर लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठा दिया। लोकसभा अध्यक्ष के रूप में उनकी शानदार कार्यशैली का नतीजा ही था कि 1985 में पंजाब में लोकसभा के चुनाव न होने के बावजूद बलराम जाखड़ को कांग्रेस हाईकमान ने राजस्थान के सीकर से चुनाव लड़वाया और सीकर में भी शानदार जीत हासिल करते हुए बलराम जाखड़ लगातार दूसरी टर्म के लिए भी लोकसभा अध्यक्ष चुने गए। फिरोजपुर लोकसभा क्षेत्र में बलराम जाखड़ के बाद कोई भी इतने बड़े मतों के अंतर से नहीं जीता। बलराम जाखड़ की जीत यहां से इतिहास बन गई। इसके बाद बलराम जाखड़ ने राजनीतिक जीवन में अनेक उंचाइयों को छुआ। नरसिम्हा राव सरकार के समय उन्हें कृषि मंत्री बनाया गया। वे मध्यप्रदेश के राज्यपाल भी रहे।
उनका जन्म अबोहर के गांव पंजकोसी में 23 अगस्त, 1923 को हुआ था। बलराम जाखड़ ने फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज, लाहौर से संस्कृत में डिग्री प्राप्त की। इसके अलावा उन्हें अंग्रेजी, हिदी, उर्दू और पंजाबी भाषा का भी अच्छा ज्ञान था। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत विधायक के रूप में हुई थी। 1977 में वे पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता बने। तीन फरवरी, 2016 को उनका दिल्ली में उनके आवास पर निधन हो गया।
संसदीय कार्यो को कंप्यूटरीकृत और स्वचलित बनाने में विशेष योगदान दिया: लोकसभा अध्यक्ष पद पर रहते हुए बलराम जाखड़ ने संसदीय कार्यो को कंप्यूटरीकृत और स्वचलित बनाने में विशेष योगदान दिया। उन्होंने संसदीय लाइब्रेरी, अध्ययन, संदर्भ आदि को प्रचारित करने जैसा प्रभावकारी कदम उठाया ताकि सांसदों के संसद संबंधी ज्ञानकोष को बढ़ावा दिया जा सके। संसद अजायबघर की स्थापना में भी बलराम जाखड़ का ही मुख्य योगदान रहा। वह एशियाई मूल के पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें राष्ट्रमंडल सांसद कार्यकारी फोरम के सभापति के रूप में चयनित किया गया।
उद्यान पंडित की उपाधि से नवाजा गया: 1975 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ने बागवानी की प्रक्रिया को सशक्त बनाने के कारण बलराम जाखड़ को उद्यान पंडित की उपाधि से नवाजा गया था। कृषि और बागवानी में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए उनको हिसार के हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने डॉक्टर ऑफ साइंस और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार ने विद्या मार्तड की पद्वी प्रदान की थी।
जलियांवाला बाग मेमोरियल ट्रस्ट प्रबंधन समिति के अध्यक्ष भी रहे : बलराम जाखड़ भारत कृषक समाज के आजीवन अध्यक्ष और जलियांवाला बाग मेमोरियल ट्रस्ट प्रबंधन समिति के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने पीपुल, पार्लियामेंट और एडमिनिस्ट्रेशन नामक एक किताब भी लिखी। उत्पादन प्रक्रिया को और अधिक सहज और प्रभावकारी बनाने के लिए बलराम जाखड़ हमेशा वैज्ञानिक तकनीकों के पक्षधर रहे।
दो जाट संसद अध्यक्षों की मुलाकात
डॉ रणजीतसिंह[1] दैनिक हिंदुस्तान दिनांक 27 जुलाई, 1983 के एक समाचार के एक समाचार के अनुसार जब लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ राष्ट्रमंडलीय संगठनों के कार्य दल की बैठक में भाग लेने के लिए लंदन गए थे, तो वहां पर उनकी मुलाकात ब्रिटेन की संसद के अध्यक्ष बर्नार्ड वेदरहिल (Bernard Weatherill) से हुई थी। वेदरहिल ने अपने भारतीय प्रवास की स्मृति को ताजा करते हुए हिंदी में कहा था "मैं भी जाट हूं"। यह बात सिद्ध करती है कि जाट शब्द पंजाब का पर्यायवाची बन गया था।
कैप्टन दलीप सिंह अहलावत[2] लिखते हैं ....दो जाट संसद अध्यक्षों की मुलाकात : 21 जुलाई 1983 ई० को भारत की लोकसभा के अध्यक्ष श्री बलराम जाखड़ जी लन्दन गये थे। वहां पर उनकी मुलाकात ब्रिटेन की संसद के अध्यक्ष श्री बर्नार्ड वैदर (Bernard Weatherill) हिल से राष्ट्रमण्डलीय एसोसियेशनों के कार्यदल की बैठक में हुई। श्री हिल ने अपने भारतीय प्रवास के समय की याद को ताजा करते हुए हिन्दी में कहा - मैं भी जाट हूं। साथ ही उन्होंने पंजाब की अपनी सुखद स्मृतियों और उसके प्रसिद्ध स्थानों का भी उल्लेख किया। उल्लेखनीय है कि यह दोनों जाट किसान हैं और शाकाहारी भी हैं। (दैनिक हिन्दुस्तान दिनांक 22-7-83)।
यादें जो कभी नहीं मिटती
बात कुछ 10 साल पुरानी है जब सुबह 9 बजे कुंवर नटवर सिंह जी के फ़ोन की घंटी मेरे मोबाईल पर बजी बात हुई कुंवर साहब ने कहा अजय सिंह इंडिया आ गया है, कुछ चर्चा करनी है, तुम भी आ जाना। मुलाकत में तय हुआ कि भाई साहब अजय सिंह जी जो फिजी से वापस लोटे हैं। अब यहां रहकर समाज का काम करेंगे हमनें भी अपनी सहमति समाजिक मुवमेंट पर मजबूती से कार्य करने की दे दी। इन्हीं गर्मियो के महीने में 2013 में अखिल भारतीय जाट महासभा सम्मेलन का सफल आयोजन किया । देश की तमाम नामी गिरामी जाट हस्तियों ने सम्मेलन में पहुंच कर कार्यक्रम को सफल बनाया । जाट महा सम्मेलन में सर्व श्री कुंवर नटवर सिंह जी, स्वर्गीय श्री बलराम जाखड साहब पूर्व गवर्नर स्वर्गीय चंद्रवती जी तत्कालीन मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार श्री भूपेंदर हुड्डा जी भाई विजय पूनिया जी, रघु ठाकुर जी सहित देश के अनेक पूर्व और वर्तमान के सांसद और गणमान्य विभूतियों ने अपनी भागीदारी की । सैंकड़ों कार्यक्रम दिल्ली में आयोजित किये। भाई साहब हमेशा मुझे समाज का काम करने के लिये प्रोत्साहित करते थे। अखिल भारतीय सर्व जाट महासभा जिसके वो अध्यक्ष बने मुझे राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी दी । उनके परिवार का कद और पद समाज में इतना था कि चौ.
चरण सिंह जी ने खुद उनको अपने साथ काम करने के लिए तैयार किया था। तब भाई साहब एक बड़े न्यूज संस्थान की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी छोड़कर बड़े चौ साहब के साथ राजनीति में आये थे । समाज में ऐसे कम वाकये हैं कि जिस राजदूत के पद को 30 वर्ष पहले पिता ने संभाला हो उसी राजदूत के पद को उन्होने भी सुशोभित किया था । भाई साहब के पिता स्वर्गीय भगवान सिंह जी देश के पहले जाट Frenzied A S थे ,जो बाद में अखिल भारतवर्षीय जाटमहासभा के अध्यक्ष भी रहे थे। किस्से सैंकड़ों हैं , पूर्व सांसद लोकसभा केन्द्रीय मंत्री भारत सरकार,पूर्व M L C , पूर्व राजदूत India टुडे समूह के संपादक,कौम और समाज के लिये अग्रणी भूमिका में रहने वाले समाजसेवी, स्मृतियाँ और यादें बहुत हैं.
पिछ्ले साल भाई साहब अजय सिंह जी का असमय चले जाना बहुत दुखद रहा ।
समाज के मजबूत किले धीरे-धीरे ढय रहे हैं.... हमें समाज के मजबूत किलों का निर्माण करना होगा जिससे समाज के अन्दर और बाहर के शत्रुओ से समाज को बचाया जा सके ।।
कौम सेवक
धर्मवीर चौधरी
See also
- Jakhar : Account of Jakhar gotra
Gallery
Back to Rendering Leaders